मंद हवा के इन झोकों के लुत्फ़ का भी वक़्त नहीं
थक हार कर फ़ुर्सत की दो साँसों का है वक़्त नहीं
बादल की इन दो बूंदों के रस का भी तो वक़्त नहीं
दोस्त है अपने मगर साथ में दो बातों का वक़्त नहीं
दिन के कितने घंटो में से दो मिनट का वक़्त नहीं
फिर भी अपना दिन है ख़ाली
ज़िन्दगी में वक़्त नहीं
-अनिमेष
-अनिमेष
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