जी मंत्रीजी ! |
The Union Ministry of Women and Child Development is mulling to prepare a draft that would make it mandatory for the husband to pay a definite amount of his salary to his wife each month.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में इस बात पे सोच विचार हो रहा है कि पत्नियों को पति की salary में से कुछ हिस्सा मिलना चाहिए। मंत्रालय इस सम्बन्ध में जल्दी ही एक प्रस्ताव पेश करेगा।
अच्छा है, हमारे देश में अकलमंदी के काम काफी तेज़ी से होते हैं। मंत्रालय की ये सोच है की इससे महिलाओं का empowerment हो जायेगा। Empowerment करने के लिए ये plan है कि घरेलू औरत का designation हाउस-वाईफ से गिराके हाउस-मेड का कर दिया जाए। पत्नी के पास पैसा आ जायेगा तो सब तकलीफ ख़त्म। आखिर सब problem ही पैसे की है।
इस idea को पूरी तरह से कारगर बनाने के लिए मेरे 7 सवाल हैं:
- विवाह के 7 वादों को हटा कर क्या offer letter सिस्टम लागू किया जायेगा ?
- हर साल का increment कितना होगा ? Annual Performance Rating कैसे निकली जाएगी ?
- पति के क्या क्या हक होंगे ? पत्नी की क्या क्या जिम्मेदारियां होंगी ? अच्छा खाना ? साफ़ सफाई ? अगर पति बीमार होगा तो पत्नी को दवाई लानी होगी ? बच्चों का homework कराना होगा ? क्या पत्नी को पति के साथ parties/dinners में जाना ज़रूरी होगा ?
- अगर पत्नी को खाना बनाना नहीं आता तो क्या उसकी पगार कम होगी ?
- साल में कितने दिन की छुट्टी मिलेगी ?
- अगर बच्चे फेल हो गए तो कौन जिम्मेदार होगा ?
- क्या कामवाली बाई को रखकर काम outsource कराया जा सकता है ? उसकी पगार कौन देगा ?
अपडेट : सुना है कि कामवाली बाई अस्सोसीएशन ऑफ़ इंडिया की ये मांग है की घरों में उन्हें भी पत्नी के बराबर के हक और सम्मान मिलना चाहिए।
जय हिंद !